ढ़का होता है नीला आकाश, बादलों के सांवलेपन से ,
जैसे मन में प्रेम होने पर भी दूर होना किसी के अपनेपन से ,
बादल है सच या वो नीलापन, पूछो अपने मन से…
यह रंग बिरंगा आसमान किसके लिए…
इंद्रधनुष की पिचकारी से निकलते हुए रंगों के मेले,
सभी सुन्दर से, कि किसे रखें और किस से खेले |
पर सच तो यह भी नहीं, मरीचिका भर है यह गुलाल से रेले ,
यह सात रंग सच है या वो नीलापन, पूछो अपने मन से ||
यह रंग बिरंगा आसमान किसके लिए..
बरसात के बाद का फीकापन उस अम्बर का,
रंग है, खुद किये जाने वाले समर्पण का|
स्वयं शुन्य होकर, धरा को नीर के अर्पण का,
स्थायी तो यह भी नहीं, रूप है कुछ देर के दर्पण का|
यह फीकापन सच है या नीलापन, पूछो अपने मन से ||
यह रंग बिरंगा आसमान किसके लिए…
सच है सिर्फ वह रंग जो नीला बनकर दिखता है,
धरती के प्रेम में जल जैसा दिखता है|
क्षितिज़ एक चाह है उसके वसुधा से मिलने की,
सूर्य के प्रकाश में बैठकर धरा से मिलता है ||
सच यही है, नीलापन उस आसमान का ..
बाकी सब भाव है उसके हर अरमान का…
यह रंग बिरंगा आसमान, किसी के लिए नहीं ,
बस नीला रंग है, इस वसुधा के लिए..वसुधा की पहचान का ||
Superb….!!!!
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