हम सबमे कही न कही एक छुपा हुआ लेखक होता है. कहीं कोने में छुपा सा, जो दूसरे कवियों की कविताएं पढता है, आनंद लेता है और सोचता है – अगर जिंदगी ने अलग राह पकड़ी होती तो मैं भी शायद लिखता। जो लिखता है ख़ुशी के लिए, समय से बंधे होने के कारण भले कुछ पंक्तियाँ ही, लेकिन लिख लेता है. ये मंच उन आम से लोगो की ख़ास रचनाओं के लिए…
- विनोद दत्त
- राम जी कई गया था (मालवी हास्य कविता)