मैंने पूछा इश्क़ से यों एक दिन…
तू एक तरफ़ा भी होता है या दोनों पहलुओं का होना ज़रूरी है…
इश्क़ ने जवाब दिया मैं सिक्का तो नही जो दो चेहरे रखु।
मैं तो चाँद हूँ,जिसका बस एक ही चेहरा है वो या दिखता है या दिखता ही नहीं..।।
मैंने फिर पूछा इश्क़ से यू एक दिन….
क्या तुम बदल जाते हो…
उसने फिर जवाब दिया .. मैं वक़्त तो नहीं जो बदल जाऊँ।
मैं तो हूँ बस जीवन जैसा ,जो या तो होता है या होता ही नहीं।।
कुछ सोच मैंने फिर पूछा इश्क़ से..
तुम प्रेम देते भी हो या सिर्फ पाना ही प्रकृति है तुम्हारी…
उसने फिर हंसकर कहा,
मैं कोई सौदा तो नहीं जो लेंन देंन की सोचूँ।
मैं तो जो देता हूं वही पाता हूं और फिर दुगुना दे जाता हूँ।।
अब इश्क़ ने कहना शुरू किया..
कुछ भी पूछने से पहले ये सोच लेना,
कुछ तो बात होगी मुझमें जो मुझे रब कहा गया है
जो रब में कमी देखे वो इश्क़ से दूर हो जाता है,
जो रब मैं यक़ीन रखे वो ही सच्चा इश्क़ पाता है।
और तभी इश्क़ और रब, एक हो जाता है।।
Bahot acha ..💞
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Wow pallavi Beautiful thought ❤️
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Kya baat….Shandaar abhivyakti.👌👌
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