अभी यहीं रखा है, मैने थोड़ा ही चखा है,
कुछ काम याद आ गया, मेरा ध्यान मचला गया
इतने में उड़ गया, मेरा सुख चैन चला गया…
आता है हर रोज़ वो, पर मुझे शायद फुरसत नहीं
अनदेखा महसूस हुआ, उसे लगा उसकी जरूरत नहीं
उसके लिए भागती हूँ हमेशा उसे यह पता नहीं
मैंने भी कभी बताया नही, उसकी भी ख़ता नहीं
ज़्यादा इकट्ठा करने के चक्कर में, थोड़ा था वह भी चला गया,
मेरा सुख चैन चला गया…
कोई मुश्क़िल शर्त नहीं उसकी, बस शांति भाती है उसे,
बिना तामझाम की, सरल सी जीवनी रास आती है उसे,
आत्मसात हो जाये जो शांति मन में, मुख पर दिख जाती है,
औरो के लिए प्रेरणा बन कर नए आयाम लिख जाती है।
दुगने की आस में आधा ही न रह जाये,
कैद करने की कोशिश में रेत सा न बह जाए।
बसा लो अपने हिस्से का सुख अपना चैन तन मन धन में
जीवन शिखर पर पहुँच मैं, हाथ मलता रह गया, सफल हुआ जीवन पर अतृप्त हो गया …
मेरा सुख चैन ….चला गया।।