खुशबू उस पुराने गुलाब की,
अब तक ज़हन से गयी नही।
बावज़ूद इस इल्म के,
कि महक ये इतनी भी नयी नही।
उस डायरी के पन्नो में जम गई है यादे इस तरह
अब स्याही ने भी कहना शुरू कर दिया
किसी को यूँ कैद करना सही नही।।
खुशबू उस पुराने गुलाब की,
अब तक ज़हन से गयी नहीं।।
Beautiful poem..🌹
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