वो जो घुटने से चलता था ,मुझे हँसता देख खुद भी हँसता था ,छोटा सा बेटा मेरा , बर्फ के गोले सा लगता था |हमारी दुनिया तक ही थी उसकी दुनिया,मन की बगिया में उसके विचार भी खिलने लगे है ।उसके घुटने भी अब छिलने लगे है ॥सिर्फ सुनता था जो लोरी मुझसे,खुद के बोल… Continue reading उसके घुटने भी अब छिलने लगे है…