आज जब निकली घर से, तो घर से कहा अपना ध्यान रखना,अपनी ही दीवारों पर अपने कान रखना | शाम को आऊँगी तो सम्भाल लूँगी तुझे,और तू मुझ पर सुकून भरी मुस्कान रखना || दिन भर की भागा दौड़ी में कभी तू दिमाग़ से निकल जाता है,फिर थोड़ी देर में साफ़ सुथरा आँगन याद आ… Continue reading घर और मैं