Poems

ज़िन्दगी… बहे जा रही थी ..

ज़िन्दगी…..यूँ तो चले जा रही थी… साँसो के साथ बहे जा रही थी, उसे कहीं रुकना नहीं था । उसे रुकने का कहकर, मुझे कहीं झुकना नहीं था ॥ इसी भागा दौड़ी में थमे जा रही थी… ख़ामोशी की ठंडक में जमे जा रही थी , उसे कुछ कहना नहीं थी। मुझे कुछ सुनना नहीं… Continue reading ज़िन्दगी… बहे जा रही थी ..