मेरी रचना मेरे लिए सिर्फ कुछ पंक्तियां नही, मेरे वो अहसास है, जिन्हें मैं कभी जता भी न पायी, और किसी को बता भी न पायी। कुछ उन ज़ख़्मो की याद है, जिन्हें मैं कभी भूल भी न पायी। कभी भर भी न पायी।। कुछ उन खुशियों की मिठास है, जिन्हें मैं जी भर के… Continue reading मेरी रचना मेरे अहसास।
असर प्रेम का
फिर एक नया गुलाब आने को है। परवाह जो की, उसका जवाब आने को है। असर है प्रेम और दुआओं का जो जीवन खिलता है, और यह असर ही अब वक़्त नायाब लाने को है।।
एक खयाल
अपने सही होने का नाज़ था तुम्हें... तुम्हारे जैसे जो होने लगे लोग तो नाज़, नाराज़गी में क्यों बदलने लगा। जो शिकायतें थी कल तक हमारी उसका रंग तुम्हारी उम्मीदों में क्यों ढलने लगा।।
गुफ़्तगू इश्क़ से..
A conversation with Love
रंग बिरंगा आसमान किसके लिए.
ढ़का होता है नीला आकाश, बादलों के सांवलेपन से ,जैसे मन में प्रेम होने पर भी दूर होना किसी के अपनेपन से ,बादल है सच या वो नीलापन, पूछो अपने मन से...यह रंग बिरंगा आसमान किसके लिए... इंद्रधनुष की पिचकारी से निकलते हुए रंगों के मेले,सभी सुन्दर से, कि किसे रखें और किस से खेले… Continue reading रंग बिरंगा आसमान किसके लिए.
शब्दों का सफ़र
कभी सोचना ज़रूर… क्या शब्द भी सफर करते हैं?नहीं? तो क्यूँ चलते हैं हमारे साथ-साथ हमारी उम्र की तरह, क्यूँ छूट नहीं जाते उम्र के पड़ावों की तरह... जिन्हें ज्यादा याद न करो, समय समय पर तरज़ीह न दो,वो बचपन की तरह धुंधला जाते हैं,याद करने पर याद आ भी जाते हैं,भूल जाने पर अपना… Continue reading शब्दों का सफ़र
अतुल सी- तुलसी
आँगन में लगी है वो निच्छल, चंचल सी... तुलसी।।मेरे साथ सदा मुस्कराई,मेरे हर भावना से वफादारी निभाई।मेरे रोने पर उसकी भी आंखें भर आयी।फिर सँभल कर मुझे हिम्मत बंधाई।।सुगंधित "पल्लव" के भरे पूरे कुल सी... तुलसी।।हमसे अटूट श्रद्धा पाकर भी वो कभी नही इतराई,जड़ो को मिट्टी से बांधकर और ऊंची लहलहाई।हर तीज त्यौहार, दिवाली हमारे… Continue reading अतुल सी- तुलसी
होंसले की कश्ती
हौंसलो का साथ न छोड़ना अंत तक.. कई बार कश्ती भी किनारा कर लिया करती है, किनारा मिलने से पहले।।समझ जाते है दिल से जुड़े लोग अनकहे इशारों को..कोई इशारा मिलने से पहले।।
सभी इश्क़ मुक्कमल…
कौन कहता है इश्क़ सबके लिए नही होता। पर हाँ, हमेशा दोनो तरफा नही होता।। अपने अपने हिस्से का इश्क़ तो किया ही जा सकता है किसी से भी, कभी भी। पर हाँ... किसी से इज़हार नहीं होता, किसी से कबूल नही होता।। कोई पाने को मुक्कमल इश्क़ समझे, कोई फ़ना होने को। कोई भीड़… Continue reading सभी इश्क़ मुक्कमल…
हम भी है देश के
बहुत हुआ सोच विचार चलो अब कुछ कर जाए।इस देश के लिए या तो जी ले या मर जाए।।यूँ भी जाना ही है एक दिन यह धरती छोडकरक्यों ना अपनी धरा के हिस्से में भी थोड़ा गौरव भर जाए।इस देश के लिए या तो जी ले या मर जाए।।सौंधी मिटी की महक सस्ती नही है… Continue reading हम भी है देश के
पापा आपके जन्मदिन पर
जीवन की धरा के वो हिमालय थे, कि बर्फ से जमे सदा, कठिनाइयों की गर्मी पास आने नही दी।तन कर खड़े थे यूँ कि अपनो के सम्मान पर आंच आने नहीं दी। ऊँचाई पर इतने फिर भी धरती की महक गुम हो जाने नहीं दी। दिल से बांधकर स्वछंदता दी हमें, कि पथभ्रष्ट की स्थिति… Continue reading पापा आपके जन्मदिन पर
धन्यवाद कीजिये।।
सबको नही मिलता जो मिला है आपको, ज़रा कद्र कर लीजिये, जो दे रहा था वक़्त आपको, उसको तो वक़्त दीजिये। रुकता नही समय किसी के लिए ,जो अब तक धीरे थे तो गति तेज कीजिये, जिन्होंने भेजी आपको दिल की मन्नतें, समय निकाल कर उन्हें शुक्रिया तो भेज दीजिए।। ख़ुशनसीब है आप जो शुक्रिया… Continue reading धन्यवाद कीजिये।।
तुमने भी सही किया…
नही कहती मैं किसी से कि याद क्यों नही किया । अच्छा है जो तुम्हारे मन ने कहा तुमने वही किया ।। ज़बरन कशिश हो नही सकती रिश्तो में, न निभ सकता दिखावा, जिसने ख़ैरियत पूछी वो भी सही, जिसने नही पूछी , उसने भी सही किया।।
कैसे संभाल पाओगे
मशरूफ जो हुए हम, अपनी तन्हाइयो में, यक़ीन मानो, तुम्हारी ज़रूरत ना रहेगी, तुम्हारी नज़रअंदाज़ी, और मेरी तन्हाई ही बातें करेगी, ज़ुबान फिर कुछ न कहेगी।। लग गयी जो लत उस तन्हाई के नशे की हमें चाहकर भी तुम छुडा ना पाओगे, फिर तुम्हारी तनहाई और मेरी नज़र अंदाज़ी को गुफ़्तगू करते पाओगे।
जो ऐसा होता…
भुलाने के बजाय, जो माफ़ कर देते तो कितना अच्छा होता। नज़र तो उस ऐनक से साफ हुईं, जो नज़रिया भी साफ कर देते तो कितना अच्छा होता।। गलत तो सिर्फ कुछ मुग़ालते थे,और उस पर वो ख़ामोशी.. गर चंद बाते कर, इंसाफ कर देते तो कितना अच्छा होता।।
उम्र ज़िन्दगी की…
मजबूरी नही, चाह होनी चाहिए ज़िन्दगी, मंज़िल नही, राह होनी चाहिए ज़िन्दगी। कुछ को लगती छोटी कुछ को लंबी चाहिए उम्र, पर हर तरह के पलो का जायका लिए, अथाह होनी चाहिये ज़िन्दगी।।
चाँद उम्मीद का…
वक़्त के साथ रात और गहरी हो चली है, देखते है यह कब तक स्याह रह पायेगी, जब एक नारंगी रोशनी उसे छूकर सुबह में बदल जाएगी। हालांकि अमावस हो या पूर्णिमा, रात रात ही कहलाती है, अंधेरी हो या उजली, सुबह के ख्वाब दिखाती है। पर अंतर तो बस चाँद जितना है,चाहे वो आसमान… Continue reading चाँद उम्मीद का…
जिजीविषा
दिल मे बस जाना आसान है,पर दिल से निकल कर फिर से बसना आसान नहीं।नज़रों में चढ़ जाना आसान है,पर नज़रों से गिर कर फिर से चढ़ना आसान नहीं।किसी का प्रेम पा लेना आसान है,पर प्रेम खो कर फिर से पाना आसान नहीं।कुछ पा कर हँसना आसान है पर,खोकर हँसना आसान नहीं।जीवन मिलना आसान हो… Continue reading जिजीविषा
भूले बिसरे कर्म
कौन कहता है इतेफाक़ नहीं होते,अपने ही कर्म किसी चौराहें पर दुबारा मिल जाया करते है...
तलाश में गुम
अभी यहीं रखा है, मैने थोड़ा ही चखा है,कुछ काम याद आ गया, मेरा ध्यान मचला गयाइतने में उड़ गया, मेरा सुख चैन चला गया...आता है हर रोज़ वो, पर मुझे शायद फुरसत नहींअनदेखा महसूस हुआ, उसे लगा उसकी जरूरत नहींउसके लिए भागती हूँ हमेशा उसे यह पता नहींमैंने भी कभी बताया नही, उसकी भी… Continue reading तलाश में गुम
एक कैद ऐसी भी ….
खुशबू उस पुराने गुलाब की,अब तक ज़हन से गयी नही।बावज़ूद इस इल्म के, कि महक ये इतनी भी नयी नही।उस डायरी के पन्नो में जम गई है यादे इस तरह अब स्याही ने भी कहना शुरू कर दिया किसी को यूँ कैद करना सही नही।।खुशबू उस पुराने गुलाब की,अब तक ज़हन से गयी नहीं।।