ढ़का होता है नीला आकाश, बादलों के सांवलेपन से ,जैसे मन में प्रेम होने पर भी दूर होना किसी के अपनेपन से ,बादल है सच या वो नीलापन, पूछो अपने मन से...यह रंग बिरंगा आसमान किसके लिए... इंद्रधनुष की पिचकारी से निकलते हुए रंगों के मेले,सभी सुन्दर से, कि किसे रखें और किस से खेले… Continue reading रंग बिरंगा आसमान किसके लिए.
Category: Emotions
शब्दों का सफ़र
कभी सोचना ज़रूर… क्या शब्द भी सफर करते हैं?नहीं? तो क्यूँ चलते हैं हमारे साथ-साथ हमारी उम्र की तरह, क्यूँ छूट नहीं जाते उम्र के पड़ावों की तरह... जिन्हें ज्यादा याद न करो, समय समय पर तरज़ीह न दो,वो बचपन की तरह धुंधला जाते हैं,याद करने पर याद आ भी जाते हैं,भूल जाने पर अपना… Continue reading शब्दों का सफ़र
होंसले की कश्ती
हौंसलो का साथ न छोड़ना अंत तक.. कई बार कश्ती भी किनारा कर लिया करती है, किनारा मिलने से पहले।।समझ जाते है दिल से जुड़े लोग अनकहे इशारों को..कोई इशारा मिलने से पहले।।
सभी इश्क़ मुक्कमल…
कौन कहता है इश्क़ सबके लिए नही होता। पर हाँ, हमेशा दोनो तरफा नही होता।। अपने अपने हिस्से का इश्क़ तो किया ही जा सकता है किसी से भी, कभी भी। पर हाँ... किसी से इज़हार नहीं होता, किसी से कबूल नही होता।। कोई पाने को मुक्कमल इश्क़ समझे, कोई फ़ना होने को। कोई भीड़… Continue reading सभी इश्क़ मुक्कमल…
पापा आपके जन्मदिन पर
जीवन की धरा के वो हिमालय थे, कि बर्फ से जमे सदा, कठिनाइयों की गर्मी पास आने नही दी।तन कर खड़े थे यूँ कि अपनो के सम्मान पर आंच आने नहीं दी। ऊँचाई पर इतने फिर भी धरती की महक गुम हो जाने नहीं दी। दिल से बांधकर स्वछंदता दी हमें, कि पथभ्रष्ट की स्थिति… Continue reading पापा आपके जन्मदिन पर
तुमने भी सही किया…
नही कहती मैं किसी से कि याद क्यों नही किया । अच्छा है जो तुम्हारे मन ने कहा तुमने वही किया ।। ज़बरन कशिश हो नही सकती रिश्तो में, न निभ सकता दिखावा, जिसने ख़ैरियत पूछी वो भी सही, जिसने नही पूछी , उसने भी सही किया।।
कैसे संभाल पाओगे
मशरूफ जो हुए हम, अपनी तन्हाइयो में, यक़ीन मानो, तुम्हारी ज़रूरत ना रहेगी, तुम्हारी नज़रअंदाज़ी, और मेरी तन्हाई ही बातें करेगी, ज़ुबान फिर कुछ न कहेगी।। लग गयी जो लत उस तन्हाई के नशे की हमें चाहकर भी तुम छुडा ना पाओगे, फिर तुम्हारी तनहाई और मेरी नज़र अंदाज़ी को गुफ़्तगू करते पाओगे।
जो ऐसा होता…
भुलाने के बजाय, जो माफ़ कर देते तो कितना अच्छा होता। नज़र तो उस ऐनक से साफ हुईं, जो नज़रिया भी साफ कर देते तो कितना अच्छा होता।। गलत तो सिर्फ कुछ मुग़ालते थे,और उस पर वो ख़ामोशी.. गर चंद बाते कर, इंसाफ कर देते तो कितना अच्छा होता।।
चाँद उम्मीद का…
वक़्त के साथ रात और गहरी हो चली है, देखते है यह कब तक स्याह रह पायेगी, जब एक नारंगी रोशनी उसे छूकर सुबह में बदल जाएगी। हालांकि अमावस हो या पूर्णिमा, रात रात ही कहलाती है, अंधेरी हो या उजली, सुबह के ख्वाब दिखाती है। पर अंतर तो बस चाँद जितना है,चाहे वो आसमान… Continue reading चाँद उम्मीद का…
एक कैद ऐसी भी ….
खुशबू उस पुराने गुलाब की,अब तक ज़हन से गयी नही।बावज़ूद इस इल्म के, कि महक ये इतनी भी नयी नही।उस डायरी के पन्नो में जम गई है यादे इस तरह अब स्याही ने भी कहना शुरू कर दिया किसी को यूँ कैद करना सही नही।।खुशबू उस पुराने गुलाब की,अब तक ज़हन से गयी नहीं।।
आज़ाद चाहत
सुकून की आरामगाह मिल जाती,दिल में भी पनाह मिल जाती,कोई फर्क न पड़े उसके प्यार को मेरी किसी बात से,ऐसी बिना वजह की चाह मिल जाती
कौन झुके
भरोसे की चाह पर चलते जाना उतार चढ़ाव पर कभी चढ़ते तो कभी उतरते जाना जो ज़्यादा तेज़ चले बस वही थोड़ा रुक जाए,जिसकी गलती हो वो झुक जाये कोई भी नहीं होता पारस सुधरने का भी होता है अपना रस एक ही के झुकने से बढ़ जाएगी दूरियां बिना शब्दों का जीवन हो नीरस… Continue reading कौन झुके
राहत
सीधी सड़क पर तो मैं अकेली दौड़ लूँ,पथरीली सड़क परकोई साथ दे तो क्या बात हो।ज़रूरत होने पर दवा तो बहुत मिल जाती है,कोई राहत दे तो क्या बात हो।।
एक सड़क इस मन तक जाती है…….
किसी की आहट से जो थोड़ी चमक जाती है, दूर से पथरीली पर सरल सी नज़र आती है, एक सड़क इस मन तक जाती है ।। मुश्किल नही है इसे पार करना, सीधी सी सड़क है तुम भी सरल रहना । थोड़ी धूप है, थोड़ी छांव भी है, थोड़ा थोड़ा सब सहना। हल्के उतार चढ़ाव… Continue reading एक सड़क इस मन तक जाती है…….