सबकी अपनी अपनी लड़ाई है, किसी ने छिपाई है, किसी ने दिखाई है। कोई जीता है, कोई हारा है, कोई किस्मत का मारा है, किस्मत भी तो हमने ही बनायीं है । हर एक की अपनी अपनी लड़ाई है ॥ कोई घर में दुनिया बसा बैठा ,कोई चाँद पर चढ़ आया है, कम कोई भी… Continue reading अपने अपने कर्मक्षेत्र
Category: अन्तकरण
कल्प वृक्ष मन में
चाह थी कि कल्प वृक्ष मिल जायेज़्यादा नही पर कुछ देर के लिए ही मिल जायेचाहते चाहते एक दिन मिल ही गयादिल में ही बीज था उसका जो इच्छा होते ही खिल गया जब भी कुछ सोचतीजब भी कुछ चाहती तो कहताकोशिश करो तन सेचाहो पूरे मन से डाल देती जान पूरी फिर उसमें और… Continue reading कल्प वृक्ष मन में
कर्म का सुझाव
सब कुछ है तेरा कमाया हुआ,बुरा भी अच्छा भी ,हर बंदा तेरे आस पास, तेरा ही माँगा हुआ हैझूठा भी सच्चा भी ,स्वीकार ले कि यह सब तेरा ही चुनाव है, तेरा ही चुनाव है। कुछ है जो तुझे याद नहीं, कुछ है जो तुझे याद है,कुछ है जो तेरे बस में है, कुछ है… Continue reading कर्म का सुझाव