Emotions, Poems

उसके घुटने भी अब छिलने लगे है…

वो जो घुटने से चलता था ,
मुझे हँसता देख खुद भी हँसता था ,
छोटा सा बेटा मेरा , बर्फ के गोले सा लगता था |

हमारी दुनिया तक ही थी उसकी दुनिया,
मन की बगिया में उसके विचार भी खिलने लगे है ।
उसके घुटने भी अब छिलने लगे है ॥

सिर्फ सुनता था जो लोरी मुझसे,
खुद के बोल भी अब बनाने लगा है |
देखता था सपने मेरी आँखों के,
अब खुद के सपने भी जगाने लगा है |

पूछता था सिर्फ सवाल जो अब .
उसके भी जवाब अब मिलने लगे है ।
उसके घुटने भी अब छिलने लगे है ॥

प्यारा लगता था जो मुझे, मुझसे भी ज़्यादा ,
अब मुझसे भी प्यार जताता है|
जो कभी हो जाऊ मैं उदास, तो मुझे हंसाता है ।
उसकी कोशिश देख कर मेरा मन ,
मन ही मन मुस्कुराता है,
उसकी बाते सुनकर दिल तो, यूँ ही खुश हो जाता है

पहले दांत को देखकर
नज़र उतारी थी उसकी ,
वही दूध के दांत अब हिलने लगे है ,
उसके घुटने भी अब छिलने लगे है ||

साइकिल की जब जिद की उसने,
तो समय की गति का अहसास हुआ |
गोदी में ही रहता था जो,
वो अब मेरे साथ हुआ ||
ज़रा सी खरोंच से उसकी, मेरा मन रो पड़ता था |
अब उसे गिरते ,उठते , फिर सम्भलते देख ,
हम भी अब संभलने लगे है ||

उसके घुटने भी अब छिलने लगे है ।

अब उसके घुटने छिलने लगे है ||

प्रेरणा-: विशेष

1 thought on “उसके घुटने भी अब छिलने लगे है…”

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