Emotions

सुबह की चाय

सुबह सुबह तो चाहिए एक मीठी चाय,
वो मीठी चाय जो ताज़गी दे जाये |
शाम तक चलने की वजह बन जाये |
सुबह सुबह तो चाहिए
बस एक मीठी चाय ||

क्या है उस चाय में जो, उठते ही याद आये |
उड़ती सी खुशबू घर को, इत्र सा महकाये |
बहुत सोचा मैंने इसकी वजह ढूंढी जाए |
जो मिल जाये वज़ह ,सबको बताया जाये ||

स्वाद की तलब है ये,या चाय का नशा ,
फिर एक उबाल में दिखा इसका मज़ा |
सोचा जो लगा मुझे, तो सबको बताऊ |
गलत हो तो माफ़ी,पहले से ही बोल जाऊ ||
तो जानिए ज़रा ,
मुझे क्या मिला |
बहुत हल मिले बनी
जब चाय एक दवा ||

दरअसल यह चाय ,
नहीं सिर्फ अर्क का प्याले |
इस गर्म चाय ने कितने
दिमाग ठंडे कर डाले ||

कुछ पलो का ठहराव है ये ,
जो आगे जाने को कहता है |
थोड़ा थम जाने के बाद ये मन,
फिर से दरिया सा बहता है |
जो इसलिए ही चाय देख,
यह दिल खिल उठता है |
वरना चाय से भी स्वादिष्ठ,
जहाँ में बहुत कुछ मिलता है ||

इसलिए मुझे भी चाहिए एक मीठी चाय ,
बीते खुशनुमा लम्हो को फिर से जिया जाये |
बसे है जो यादो में , लौट कर ना आएंगे,
लम्हे वो चाय जैसी उम्मीद दे जायेंगे ||
कल,आज और कल,चाय सबसे जोड़ती है
हर लम्हे से आशा के “मोती ” बटोरती है ||
इसलिए
मुझे भी चाहिए एक चाय ||
सुबह सुबह की एक मीठी चाय ||

मेरे पिता श्री मोतीलाल शर्मा जी को सादर समर्पित ||

2 thoughts on “सुबह की चाय”

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