यह जो कुछ रोक लेता है कभी भी,
बिना किसी वजह के टोक देता है कभी भी,
क्या है जो बिना दिखे ही डरा जाता है..
फिर उस डर से मन निकल नहीं पाता है ..
फिर भी अपने सपने संजोने तो पड़ेंगे |
यह जो ताले है, खोलने तो पड़ेंगे ||
जो रुकना पड़ा था कभी ,
कि चलने का मन नहीं था |
साँचा जो था सिर्फ़ मेरे लिए,
उसमें ढलने का मन नहीं था।
आँच जो सोना बना रही थी मुझे ,
उसमे जलने का मन नहीं था॥
कुछ बहानों के आगे अपने प्रयास तो तोलने तो पड़ेंगे |
यह जो ताले तो है ही,खोलने तो पड़ेंगे ||
हवा का रुख़ भी साथ ही है,जो अपनी दिशा बदल दी जाये,
अरमानों का पहिये शायद बेहतर मंज़िल दे जाये।
फिर परिश्रम भी अपनी करनी कर दिखाये |
हाथ लगाकर अपनी नियति के दरवाज़े खोलने तो पड़ेंगे |
यह जो ताले है वो खोलने तो पड़ेंगे ||
ज़रूरी नहीं हमेशा सब अच्छा हो ,
एक अच्छा ,तो हर आदमी सच्चा हो |
किसी और की कमी को मैं बहाना नहीं बना सकती,
किसी भीड़ को अपनी पहचान नहीं बना सकती ||
उतार चढ़ाव से भरी इस राह में मुझे ही संभलना है,
रोज़ शाम में कुछ ना कुछ करके ही ढ़लना है |
दुनिया के हर तरीक़े में अपना सलीक़े टटोलने तो पड़ेंगे ..
अपने नाम के मायनो को कर्मों से बोलने तो पड़ेंगे |
शायद इसीलिए ये जो ताले है वो खोलने तो पड़ेंगे ||
Beautiful!
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Very nice and touching
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So beautifully written….loved each n every line …
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I really appreciate and admire the words written by you…!!
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