अन्तकरण, Inspirational, Poems

अपने अपने कर्मक्षेत्र

सबकी अपनी अपनी लड़ाई है,
किसी ने छिपाई है, किसी ने दिखाई है।
कोई जीता है, कोई हारा है,
कोई किस्मत का मारा है,
किस्मत भी तो हमने ही बनायीं है ।
हर एक की अपनी अपनी लड़ाई है ॥

कोई घर में दुनिया बसा बैठा ,कोई चाँद पर चढ़ आया है,
कम कोई भी नहीं,
सबने अपने आज को, कल से आगे बढ़ाया है,
हर गति चलती हुई दिखे यह ज़रूरी तो नहीं,
खुद को महसूस हो यह ऐसी चढ़ाई है ।
हर एक की अपनी अपनी लड़ाई है ||

नहीं देख पाते हम किसी ओर मन की गहराई को,
साथ रहने वालो के भीतर की तन्हाई को,
करीबी रिश्ते भी जब नहीं देख पाते उन अदृश्य बदलाव को,
तो दूर करती अपनों को, अपनों से , यह वो खाई है |
इस खाई को भरने में भी ज़द्दोजहद आई है।
हर एक की अपनी अपनी लड़ाई है ||

अपने अंदर के शोर से हर कोई परेशान है,
अंदरूनी हो गया है सब कुछ
बाहर तो सिर्फ कुछ नामोनिशान हैं ,
जो ना समझा कोई आपको ,यह भी आपके ही कर्म है।
और जो थाम लिया किसी ने ,यह भी आपकी ही कमाई है||
हर एक की अपनी अपनी लड़ाई है |
किसी ने छिपाई है,किसी ने दिखाई है ||


6 thoughts on “अपने अपने कर्मक्षेत्र”

  1. तुमने अपनी कुछ पंक्तियों से जिंदगी की सच्चाई का बहुत सुंदर बखान किया है.👌👌👌👌

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  2. Too good Manda.. You have very good and deep thought which reflects in all your Lekhani 👍🎊

    Jeevan ek karm chhetra 👍

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