ज़िन्दगी…..यूँ तो चले जा रही थी…
साँसो के साथ बहे जा रही थी,
उसे कहीं रुकना नहीं था ।
उसे रुकने का कहकर, मुझे कहीं झुकना नहीं था ॥
इसी भागा दौड़ी में थमे जा रही थी…
ख़ामोशी की ठंडक में जमे जा रही थी ,
उसे कुछ कहना नहीं थी।
मुझे कुछ सुनना नहीं था ॥
पेशोपेश में किसी ,खोये जा रही थी…
वो जगा रही थी और मैं सोये जा रही थी,
उसे रोना नहीं था ।
और शायद मुझे हंसना नहीं था ॥
कशमकश में चुपचाप गुजरे जा रही थी…
मैं उसे कमाना चाह रही थी और वह बीते जा रही थी,
उसे अमर होना नहीं था ।
और मुझे शायद मरना नहीं था ॥
बहुत गहराई है तुमहारी इस अभिव्यक्ति में. अति सुन्दर 👌👌👌
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Blessings of Gurus and Divine 🙏
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Feeling good to see your literary work.
It is really very touching.
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It’s all Blessing of Divine and Elders like You🙏
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Very beautiful lines ❤️
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बहुत सुंदर अभिव्यक्ति.
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Blessing of Gurus . Thank You. Gratitude 🙏
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Thanks a lot Dear
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