आज मैंने बच्चों को फिर से स्कूल जाते देखा…
साइकल का चक्कों को घुमाते देखा,
महीनो से फ़ीकी थी उनकी उन्मुक्त हँसी,
सुबह की धूप में उन्हें चमचमाते हुए देखा,
आज मैंने बच्चो को फिर से स्कूल जाते देखा ||
हम उम्र जीवन जब साथ मे चलता है,
कभी खेलता है कभी पढ़ता है,
साथ के लिए कभी दौडता है कभी रुकता है ,
उसका भी अलग मज़ा है जब साथियो से मिलने को बालमन मचलता है,
देर होने पर भी दोस्तो के लिय इंतज़ार करते देखा,
आज मैंने बच्चो को, फिर से स्कूल जाते देखा ||
समझदारी में शायद बड़ो से भी आगे थे ,
मदद करने लिए आधी रात को भी भागे थे ,
टूटने वाले नहीं ,यह बांधने वाले धागे थे,
अचानक से बड़े हुए नन्हों को फिर से नन्हा बनते देखा|
आज मैंने बच्चो को फिर से स्कूल जाते देखा| |
आसान नही था उनके लिए इस तरह घर मे कैद होना,
अपने बचपन के अनमोल दिनों का इस तरह खोना ,
पर महामारी के दौर को समझकर जो बड़प्पन दिखाया,
खुद भी सम्भले औरो को भी समझाया।।
उन नए पत्तो को मैंने शाख और वृक्ष दोनों ,बचाते हुए देखा,
आज मैंने बच्चो को स्कूल जाते देखा ||
आज मैंने बच्चो को फिर से स्कूल जाते हुए देखा
डेढ़ वर्ष के बाद स्कूल खुलने पर बच्चों के उत्साह को देखकर यह विचार मन में कौंधे ||
यह कविता उन सभी बच्चो को समर्पित जिन्होंने
कोरोना काल और इस की वजह से हुए तालाबंदी की गंभीरता को समझते
हुए सभी नियमो का पालन किया
Bunch of beautiful words 😍
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