चाह थी कि कल्प वृक्ष मिल जाये
ज़्यादा नही पर कुछ देर के लिए ही मिल जाये
चाहते चाहते एक दिन मिल ही गया
दिल में ही बीज था उसका जो इच्छा होते ही खिल गया
जब भी कुछ सोचती
जब भी कुछ चाहती तो कहता
कोशिश करो तन से
चाहो पूरे मन से
डाल देती जान पूरी फिर उसमें और सोचती कि अब मन चाहा हो जाएगा
कल्प वृक्ष की बात मानो तो कल्प वृक्ष भी मिल जाएगा
अचानक अहसास हुआ की बात तो सही है
जिसने भी कही है
कल्प वृक्ष और कुछ नहीं दृढ़ इच्छा शक्ति का घेरा है
इच्छा मेरी है और क़र्म भी मेरा है
नियत का सही होना भी उसके लिए ज़रूरी है
भाग्य और हम में बस दृढ़ कल्पना की दूरी है
चाह अभी नहीं कल्प वृक्ष पाना है
अंदर जो चाह से उससे खुद कल्प वृक्ष बन जाना है
Beautiful Pallavi ❤️❤️❤️❤️
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Bahut hi sahi ❤️
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Thank You dear 🙂
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Thank You very much 🙂
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Superb one didi…!!
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Thank You very much 🙂
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