जीत और पूँजी एक दिन की नहीं होती है
धीरे धीरे बनाने से बनती है
धैर्य से सहजने से बनती है
थोड़ा थोड़ा बचाने से बनती है
जीत और पूँजी एक दिन की नहीं होती है
थोड़ा इम्तिहान लेती है
थोड़ा सब्र देती है
थोड़ा सबक़ सिखाती है
और फिर खुद के लायक बनाती है
जीत और पूँजी एक दिन में नहीं बनती है ।
पहले मुश्किलें देती है ,
उन्हें समझने की समझ देती है,
सामना करने की हिम्मत देती है
फिर सब कुछ बेहतर करने में साथ देती है|
जीत और पूँजी एक दिन की नही होती है
जौहरी को ही नहीं,
हीरे को भी अपने कद्रदान की परख होती है
सिर्फ किसी के चाहने से ही नहीं सौंप देती खुद को ,
सीप को परखे यह वो मोती है
जीत और पूँजी एक दिन की नहीं होती है। .
विश्व स्तरीय स्पर्धा में भाग लेने वाले और जीतने वाले सभी भारतीय खिलाड़ियों को सम्पर्पित
Nice one 👍🏻
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