जीवन की धरा के वो हिमालय थे,
कि बर्फ से जमे सदा, कठिनाइयों की गर्मी पास आने नही दी।तन कर खड़े थे यूँ कि अपनो के सम्मान पर आंच आने नहीं दी।
ऊँचाई पर इतने फिर भी धरती की महक गुम हो जाने नहीं दी।
दिल से बांधकर स्वछंदता दी हमें, कि पथभ्रष्ट की स्थिति आने नहीं दी।
अचानक बिना बताए जाना बहुत अखरता है आज भी, कि अंतिम बार बात हो जाने नहीं दी।
ख़ुशी से अलविदा नहीं कह पाते, इसलिए चुपके से चले गए, आपने अपनो को खुशियां जलाने नहीं दी।
ज़हन के हर तरफ में भरी है आपसे की हुई हर छोटी बड़ी बात, कि मैंने समय को भी आपकी यादें भुलाने नहीं दी।
जीवन के सबक और सीख जो सिखाई आपने, आपके जाने के बाद भी गंवाने नहीं दी।
आप तो सच्चे “मोती” थे हमारी दुनिया के,बस हमें सीप बनाने नहीं दी।
आदरणीय, सदैव स्मरणीय पिता श्री मोती लाल जी शर्मा को समर्पित। ।
Very nice expression Pallavi!
Keep writing!
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Thank You very much for appreciation and motivation. Gratitude 🙏
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Beautifully written pallavi…I can feel the pain while reading this 👏
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Thank You very much Bhagyashree.. for understanding and feeling My emotions.
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You have Beautiful heart. Thank You very much
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Beautifully written Pallavi…keep it up dear
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Thank You very much for appreciation. Gratitude 🙏
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