मशरूफ जो हुए हम, अपनी तन्हाइयो में,
यक़ीन मानो, तुम्हारी ज़रूरत ना रहेगी,
तुम्हारी नज़रअंदाज़ी, और मेरी तन्हाई ही बातें करेगी,
ज़ुबान फिर कुछ न कहेगी।।
लग गयी जो लत उस तन्हाई के नशे की हमें
चाहकर भी तुम छुडा ना पाओगे,
फिर तुम्हारी तनहाई और मेरी नज़र अंदाज़ी को
गुफ़्तगू करते पाओगे।
ना तन्हा ना उदास हो तुम
देगा खुदा मौका यहां
काया सँग छाया होती
बिन छाया कोई नहीं यहां।।
रखना खुद पर विस्वाश सदा
दिखेगा नया जीवन यहां
रात अंधेरी कितनी भी हो
सूर्य उदय जल्द होगा यहां।।
देता खुदा मौका सबको
तुमको भी देगा यहा
अत्तित भुलाओ भविष्य बनाओ
वर्तमान तुम्हारे सँग सदा।।
LikeLiked by 1 person
बहुत हीसुंदर और प्रेरणादायी। मन से आभार
LikeLike
Beautiful ❣️
LikeLike